Examine This Report on hanuman chalisa hindi
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सुग्रीव बालि के भय से व्याकुल रहता था और उसका सर्वस्व हरण कर लिया गया था। भगवान् श्री राम ने उसका गया हुआ राज्य वापस दिलवा दिया तथा उसे भय–रहित कर दिया। श्री हनुमान जी ने ही सुग्रीव की मित्रता भगवान् राम से करायी।
চালিশা পঠনের পরে আপনি পূর্ণ শ্রদ্ধার্জিত হয়ে নিজেকে সাক্ষাৎকার করার জন্য পূজা পাঠ করতে পারেন এবং আপনি অনুমতি প্রাপ্ত করতে পারেন যদি আপনি তাত্পর্যপূর্ণ এবং সত্যিকারের মনের সাথে পাঠ করেন।
kumatiKumatiIgnorance / bad intellect nivāra NivāraPurify / cleanse sumatiSumatiWise / great intelligence keKeOf sangīSangīCompanion / Buddy This means: Oh fantastic hero with valiant physique as potent as Indra’s Vajra (Thunderbolt/weapon), the remover of bad intellect or ignorance or evil views, oh the companion of The great.
Encourages Inner Peace: The repetitive chanting of the prayer allows just one to enter a condition of deep relaxation and calmness. It can help to alleviate anxiety, nervousness, and restlessness, selling a way of overall very well-staying.
তুলসীদাস সদাসর্বদাই শ্রী হরির সেবক,দাসানুদাস।হে প্রভু আপনি তার হৃদয়টিকে আপনার বাসস্থানে পরিণত করুন অর্থাৎ তার হৃদয়ে নিত্য বাস করুন।
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व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।
নিরন্তর হনুমানের নাম জপ করলে সর্বপ্রকার রোগ পীড়া বিনষ্ট হয়।
The Hanuman Chalisa is more than simply a holy hymn; It is just a strong tool for personal advancement and spiritual enlightenment. Each verse carries a deep, insightful information that resonates With all the devotees, enabling them to imbibe Hanuman’s virtues into their own individual lives.
भावार्थ – श्री गुरुदेव के चरण–कमलों website की धूलि से अपने मनरूपी दर्पण को निर्मल करके मैं श्री रघुवर के उस सुन्दर यश का वर्णन करता हूँ जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को प्रदान करने वाला है।
भावार्थ – ज्ञान और गुणों के सागर श्री हनुमान जी की जय हो। तीनों लोकों (स्वर्गलोक, भूलोक, पाताललोक) को अपनी कीर्ति से प्रकाशित करने वाले कपीश्वर श्री हनुमान जी की जय हो।
श्री सीताराम जी के चरणों में प्रीति और भक्ति प्राप्त हो जाय यही जीवनफल है। यह प्रदान करने की क्षमता श्री हनुमान जी में ही है।
व्याख्या – मैं अपने को देही न मानकर देह मान बैठा हूँ, इस कारण बुद्धिहीन हूँ और पाँचों प्रकार के क्लेश (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश) तथा षड्विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर) से संतप्त हूँ; अतः आप जैसे सामर्थ्यवान् ‘अतुलितबलधामम्‘ ‘ज्ञानिनामग्रगण्यम्‘ से बल, बुद्धि एवं विद्या की याचना करता हूँ तथा समस्त क्लेशों एवं विकारों से मुक्ति पाना चाहता हूँ।
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